रक्षा के लिए सदा तत्पर रहने की सीख देता है “बकरीद”- वीएम बंसल

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नई दिल्ली – 

 

न्यू देहली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के चेयरनमैन वीएम बंसल ने बकरीद पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि यह ऐसा पर्व है जो हमें रक्षा के लिए सदा तत्पर रहने की सीख देता है। यह इस्लाम की खासियत है कि वह अपने किसी भी पर्व में समाज के कमजोर और गरीब तबके को भूलते नहीं हैं, बल्कि उनकी मदद करना उनके धर्म का एक अभिन्न अंग है। बंसल ने कहा कि यह पर्व जहां सबको साथ लेकर चलने की सीख देता है, वहीं बकरीद यह भी सिखाती है कि सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस त्योहार को मनाने के पीछे भी एक कहानी है, जो दिल को छू जाती है।

 

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हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने के याद में इस त्योहार को मनाया जाता है। हजरत इब्राहिम को पैगंबर के रूप में जाना जाता है, जो अल्लाह के सबसे करीब है। उन्होंने त्याग और कुर्बानी का जो उदाहरण विश्व के  सामने पेस किया वह अद्वितीय है। वीएम बंसल ने कहा कि इस्लाम के विश्वास के मुताबिक, अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा। हजरत इब्राहीम को लगा कि उन्हें सबसे प्रिय तो उनका बेटा है, इसीलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया। हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती है, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी।

 

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जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई, तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा हुआ था। तभी से इस मौके पर बकरे और मेमनों की बलि देने की प्रथा है। कुछ जगह लोग ऊंटों की भी बलि देते हैं। यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों ही धर्म के पैंगबर हजरत इब्राहीम ने कुर्बानी का जो उदाहरण दुनिया के सामने रखा था उसे आज भी परंपरागत रूप से याद किया जाता है।

 

 

आकाशवाणी हुई कि अल्लाह की रजा के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बानी करो, तो हजरत इब्राहीम ने सोचा कि मुझे तो अपनी औलाद ही सबसे प्रिय है। उन्होंने अपने बेटे को ही कुर्बान कर दिया। उनके इस जज्बे को सलाम करने का त्योहार है ईद-उल-जुहा।